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importantly, evoke an emotional response!.
Subah ka Suraj
आमुख
डॉ.कैलाश वाजपेयी
अबसे लगभग पन्द्रह वर्ष पूर्व मीना जी का एक कविता संग्रह अंग्रेज़ी भाषा में यहीं भारत से प्रकाशित कराने में अपनी भी एक अदनी सी भूमिका थी। इसके बाद मीना जी कब कहाँ खो गईं पता ही नहीं चला। फिर एकाएक दूर चली गई मीना जी की आवाज़ दोबारा सुन पड़ी। वे विदेश में इतने लम्बे अंतराल के बाद भी रचनारत रह सकीं यह सुनकर सुखद आश्चर्य हुआ। मीना जी की आवाज़ के ठहराव से इतना भर लगा कि वह जैसी पहले थीं वैसी ही अब भी हैं। फिर उन्होंने बताया कि वे अब हिन्दी भाषा में एक कविता संग्रह प्रकाशित करने के लिये कृतसंकल्प हैं। उनके संग्रह की पाण्डुलिपि जब सामने आई तो रचनाएं पढ़कर स्पष्ट हुआ कि पक्षी चाहे जितनी भी दूर चला गया हो अपने नीड़ को नहीं भूलता। वे शब्द की अर्थछवि को भीतर-भीतर तक जानती हैं। कड़ी सीमा में न बंधने वाली सच्चाई को वे अपने संवेदय सार-गर्भित, प्रौढ़ और तराश दृष्टि के साथ पूरी तन्मयता के साथ रूपायित करती हैं। उनकी कविताओं में एक गुज़री हुई दुनियाँ की टीस या कसक रह-रह कर थपेड़े मारती है जिसे अंग्रेज़ी भाषा का सहारा लें तो ’इम्पलोज़न’ कहा जा सकता है। स्वयं उनके संग्रह का शीर्षक ही उनके भीतर की याचना का दस्तावेज़ बनकर सामने आता है। गृहस्थी और उनके आए दिन के संघर्षों की झलक भी उनकी इन अनुभूतियों में सुनी जा सकती है जो ’प्रसाद’ के ’आँसू’ की पंक्तियों की याद दिलाती है। मीना जी का संग्रह ’सुबह का सूरज अब मेरा नहीं है’ एक आह है एक ऐसी आह जिसका असर होने देने के लिये एक ही ज़िन्दगी काफ़ी नहीं।
मीना जी की छ्टपटाहट यह है कि वे अभी भी जीवन को अभिनय मान कर नहीं जी पाईं। अभिनय को जीवन की प्रतिछवि तो हम सभी मानते हैं मगर जीवन को एक अभिनय-धारावाहिक मानने की युक्ति उन्हें अभी भी नहीं भाई। स्रष्टा की तरह उन्हें भी अगर अपना जीवन अभिनय जैसा लगने लग जाये तब शायद यह कौंधेगा कि सूरज नहीं हम उदय और अस्त हुआ करते हैं। हालाँकि यह तर्क घोर तत्व ज्ञान है और कविता तर्क से कहीं आगे जन्म लेती है। कविता की भाषा में उनके संग्रह की असंलक्ष्य क्रम व्यंग्यध्वनि पढ़ने वाले को अगर सचमुच वह सहृदय भावुक है तो उसे एकाएक कौंधेगा कि यह कवयित्री व्यंजना के सहारे कितनी मार्मिक बात कह रही है और उसके भीतर की करुणा का आकाश कितनी दूर तक भासमान है। असल में आँखों से दीख पड़ने वाले आकाश से कहीं बड़ा और अपरिमेय है बंद आँखों का आकाश।
भारत देश में रहकर विदेशी भाषा और विदेश पहुँच कर अपनी भाषा में कविता रचने का दुस्साहस करने वाली इस कवयित्री को ढेर सारा स्नेहयुक्त आशीष।